बस हवाई जिहाज भर बांचे रिहिस। दसों साल ने योजना बनावंव फेर समजोगे नइ बइठय। केहे गे हे न बिन समजोग के कांही कारज सिध्द नइ होय अउ ओखर उप्पर वाला के मरजी बिगन एक ठी पत्ता नइ डोलय। हर बखत हवाई यात्रा के योजना फैल खा जाय। सबले बड़े अड़ंगा तो माहंगी टिकस के आय। दूसर अड़ंगा राहय जानकारी के कमी। ये थोरे ए रइपुर के सफर, जेमा पाय तेमा बईठ जा अउ कन्डेक्टर ल तीस रूपिया धरा दे। मोर एक झिन चिन्हार गुरूजी घला अब्बड़ घुमइया-फिरइया आय। फेर वहू आज ले हवाई जिहाज नइ चघे हे। तभो ले वोला ये बिसय म जानकारी होही किके पूछ परेंव तो वहू डेरवा दिस। किहिस, हवाई यात्रा के पहिली डॉक्टरी जांच-पड़ताल होथे। थोरको तबियत ऊंच-नीच रथे ते जिहाज म चघन नी दें। इही डर म एक-दू साल अउ घुच गे। काबर के मैं आंव जनम के मुड़पिरहा, मोला अनफिट कहि दिस तब बकवाय हे। मोर हवाई यात्रा के आस मने म रहिगे।
फेर समजोग मड़थे त रद्दा एकक करके खुलत जाथे। मोर हवाई यात्रा के समयोग माड़ गे रिहिस। टिकस सस्ता हो गे। मैं केहेंव अभी सऊख पूरा होगे त होगे बाद म कोजनी हवाई हवाई जिहाज चघे के लईक रेहेंव क नी रेहेंव। जा बेटा टिकस कटा ले। हवाई टिकस के का भरोसा, कब गन-गन ले बाढ़ जाही तेखर का ठिकाना। अउ डॉक्टरी जांच के डर ल टिकस एजेन्ट भगा दिस। किहिस, आप सामान्य चल फिर रहे हैं तो किसी डॉक्टरी चेकअप की जरूरत नहीं है। मैं खट ले दू टिकस रइपुर ले हैदराबाद के कटवाएंव। अवइया 15 तारीख के मोर हवाई यात्रा बुक होंगे। हमन दुनों बाप-बेटा रइपुर ले हैदराबाद जाय बर तइयार होय लगेन।
यात्रा के दिन बिहन्चे साढ़े आठ बजे माना हवाई अड्डा पहुंच गेन। हमर हवाई जिहाज के छूटे के समै राहय सुबे दस बजे। सुरक्छा जांच पड़ताल अउ हवाई अड्डा के लाऊंच ल देखत-देखत कतका जल्दी जिहाज म चघे के बेरा होंगे गमे नइ लगिस। हमर साथ म दू ठी लगेज रिहिस। बड़े बैग ल सुरक्छा जांच करके उहें अलग रख लिस। छोटे बैग ल हमन अपन साथ में ले जा सकत रेहेन। उहां लगेज जांच घला देखनी राहय। चारो मुड़ा ले तोपाय एक ठी मसीन राहय, तेखर खाल्हे म घूमने वाला पट्टा लगे राहय। वोट पट्टा म लगेज ल मढ़ाय ले लगेज अपने-अपन मसीन के भितरी खुसर जाय अउ मसीन ह बैग के अंदर के सबो जिनिस के पता लगा डारय। अपन साथ म लेगने वाला छोटे बैग म एक छोटे चाकू अउ एक छोटे कैंची राहय तेला मसीन देख डरिस। हमन वो बैग ल सुरक्छा अधिकारी कर मांगेंन त वो कथे, इसमें एक चाकू और एक कैंची है। हमन केहेन, हवे तो। इसे आप नहीं ले जा सकते। यदि आप चाहें तो इसे लगेज के रूप में अलग रखवा सकते हैं, नहीं तो चाकू और कैंची को यहीं छोड़ना पड़ेगा। वो बैग म हमर नास्ता-पानी घलो रिहिस ओखर सेती ओला अपन पासे म रखना चाहत रेहेन। हमन सोचेन कैंची अउ चाकू के कुरबानी देय ले कोई बड़का घाटा नइ हो जाय, फेंक साले ल। भूख के बेरा होवथे। खाय-पीये के जिनिस ल साथ म लेगबो। कैंची अउ चाकू ल निकाल के दे देन। जांच-पड़ताल पूरा होंगे। अब हमन दूसरइया एनाउन्समेंट के अगोरा करें लगेन।
सुने रेहेन के हवाई जिहाज के यात्रा म यात्रीमन के बड़ आव-भगत होथे। फिरी म खाना-पीना मिलथे। फेर ये बात हमर हवाई यात्रा के पहिलिच साफ हो गे रिहिस के अब वो जमाना पहा गे जब हवाई यात्री मनके दमाद बरोबर सेवा-साटका होय, आनी-बानी के खाय-पीये ल मिलय। अब तो तोला हवाई जिहाज म खाना-पीना हे ते घर के पराठा लेगे ल परही। नहीं ते माहंगी किम्मत म खाय-पीये के जिनिस बिसाय ल परही। यहू ल एक ठी समजोगे केहे ल परही के हमर हवाई यात्रा के पहिली राजधानी के बड़का अखबार म आज कल के हवाई यात्रा के हाल-चाल छपे रिहिस जेखर से मालूम परगे के अब हवाई जिहाज म महिली कस आव-भगत अउ नास्ता-पानी बंद होंगे। तिही पाय के नास्ता-पानी वाला छोटे बैग ल अपन संगे म लेगना परिस।
हवाई जिहाज म बइठे के एनाउंस होइस ताहन हमन लाऊंज से बाहिर निकल के हवाई जहाज म चघ गेन। हवाई जिहाज छुटे के पहिली सेफ्टी बेल्ट बांधे के एनाउंस होइस। थोरिक देर म हवाई जिहाज हैदराबाद बर रवाना होंगे। केहे जाथे जिहां चाह उहां राह सच्चा मन के चाह ल भगवानों पूरा कस्थे। मैं दिन के अंजोर म हवाई जहाज ले भुइंया के सीन ल देखना चाहत रेहेंव। मो ये साध तभे पूरा हो सकत रिहिस जब मोला खिड़की करा के सीट मिलतिस। भगवान मोर ये मनोकामना ल पूरा करिस। हमन ल खिड़किच करा के सीट मिलिस जिहां से धरती, अगास अउ छितिज ल साफ-साफ देखे जा सकत रिहिस। हमन दुनों बाप-बेटा ये मौका के भरपूर आनंद लेयेन। मोबाइल कैमरा म खटाखट फोटो खींचेन। हर मनखे के यात्रा के आनंद लेय के अपन-अपन तरीका होथे। मैं पूरा समै जिहाज ले बाहिरे झांकत बिताएंव। नीचे धरती दिखय, ऊपर अगास अउ बीच म राहय छितिज। धरती ल देखौं तौ मोता पुस्तक म छपे प्राकृतिक नक्शा के सुरता आवै काबर के नदियां, नरवा, तरिया, खेत-खार, रूख-राई, घर सबके उपरहू भाग दिखै। उप्पर ले आजू-बाजू दिखे सवाले कहां पयदा होथे? पहाड़ मन तो जनाबे न करै। वहू मैदान कस दिखै। सबले अलौकि आनंद छितिज ल देखे म मिलिस। छितिज ह एकदम चकाचक चमकत राहय। ये सीन ल सउंहत आंखी ले देखके मोला अनुमान होइस के हमर चन्दा ममा घलो अइसने चमकथे तेखरे सेती ओखर से जूड़ सुखदाई अंजोरी हमन ल मिलथे।
एक घंटा नइ बिते पाइस फेर एनाउंस होइस अब हमारी प्लेन राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, हैदराबाद पर उतरने वाली है कृपया अपनी-अपनी सेफ्टी बेल्ट पुन: बांध लें। जिहाज हवाई अड्डा म उतर गे। हमर मन म फेर चिन्ता होइस के हमर ल बइठार के उहां के लाऊंज म लाइस। हमन एक झन ल फेर पूछेन, हमर बैग कहां मिलही? वो बताइस वो जो तीन नंबर लिखा है वहां खड़े हो जाइए। वो करा गेन त का देखथन एक ठी बहुत बड़े पट्टा तरी डाहर ले निकल के गोल-गोल घूमत अपने-अपन आगू डाहर सरकत राहय। मैं मन म सोचेंव, ये काय जिनिस ए भई, एकर नांव पता करना चाही। एक झिन करमचारी ल चेंध-चेंध के पूछें व वहू ह लट्टे-पट्टे बताइस, बेल्ट है बेल्ट। मैं समझ गेंव ये लगेज बेल्ट आय, हमर बैग ह इही बेल्ट म रखाय-रखाय आही। थोरिक देर बाद देखेन वो बेल्ट म तरी डाहर से एकक ठी बैग मन रखाय-रखाय आगू बढ़त राहय। हमरो बैग ह तरी डाहन ले निकल के हमर तीर म आइस। हमन अपन बैग ल उठाएन अउ धीरे-धीरे लाऊंज ले बाहिर आ गेन। अइसन ढंग ले हमर पहिली हवाई यात्रा पूरा होइस। ये लेख के पढ़इया मन ल मोर शुभकामनाएं हे के उहू मन ल हवाई जिहाज म यात्रा करें के मौका भगवान देवय अउ उहू मन मोला शुभकामनाएं देवंय के मोर ये पहिली हवाई यात्रा ह आखरी यात्रा झन होय। मोला घेरी-बेरी हवाई यात्रा के मौका मिलत राहय जेखर से अवइया दिन म मैं बिदेसी उड़ान के अनुभव घलो सुनो संकव।
दिनेस चौहान
सितला पारा, नवापारा-राजिम
जिला-रायपुर छ.ग.